झारखंड में महिलाओं पर पुलिस लाठीचार्ज का पुराना वीडियो मध्य प्रदेश की हालिया घटना बताकर वायरल

लेखक: मोहम्मद सलमान
सितंबर 29 2023

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झारखंड में महिलाओं पर पुलिस लाठीचार्ज का पुराना वीडियो मध्य प्रदेश की हालिया घटना बताकर वायरल

महिलाओं पर लाठीचार्ज दिखाते वीडियो को मध्य प्रदेश का बताकर शेयर किया जा रहा है. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

यह वीडियो 24 सितंबर 2019 को झारखंड के रांची में हुई एक घटना का है, जब पुलिस ने प्रदर्शनकारी आंगनवाड़ी सेविकाओं पर लाठीचार्ज किया था.

क्लेम आईडी 4b10b143

दावा क्या है? 

हाल ही में महिला आरक्षण बिल, या नारी शक्ति वंदन बिल, संसद के दोनों सदनों में पास हो गया. मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसका कितना असर होगा यह तो समय बताएगा, लेकिन इस बिल की पृष्ठभूमि में सोशल मीडिया पर रोज़ नए-नए दावे वायरल हो रहे हैं. इसी कड़ी में एक वीडियो शेयर किया जा रहा है, जिसमें एक पुलिसकर्मी एक महिला पर लाठी और मुक्कों से हमला करते हुए दिखाई दे रहा है. दावा किया जा रहा है कि यह मध्य प्रदेश का वीडियो है.

एक्स (पूर्व में ट्विटर) और फ़ेसबुक पर वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, “मध्यप्रदेश में 'महिला आरक्षण बिल' पास होने पर लाड़ली बहना को बधाई देता मामा का पुलिसवाला.” पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां, यहां, यहां, यहां और यहां देखें.

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश में ‘मामा’ के रूप प्रसिद्धि प्राप्त है. प्रदेश सरकार महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन के लिए ‘मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना’ के तहत एक हजार रुपये देती है. इसी वजह से वायरल पोस्ट में 'मामा' और 'लाडली बहना' का इस्तेमाल किया गया है.

वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट (एक्स, फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा ग़लत है, क्योंकि यह मध्य प्रदेश का नहीं, बल्कि झारखंड का 2019 का वीडियो है.

सच्चाई क्या है? 

हमने रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये वीडियो को खोजना शुरू किया तो यह हमें न्यूज़ आउटलेट द क्विंट की 25 सितंबर, 2019, की एक रिपोर्ट में मिला. रिपोर्ट के मुताबिक़, 24 सितंबर को झारखंड के रांची में प्रदर्शनकारी आंगनवाड़ी सेविका सहायिका संघ कार्यकर्ताओं को उनके विरोध-प्रदर्शन के 40वें दिन पुलिस द्वारा पीटा गया. यह प्रदर्शन झारखंड के रांची में राजभवन के क़रीब आयोजित किया गया था.

द क्विंट रिपोर्ट में मौजूद वीडियो का स्क्रीनशॉट (सोर्स: क्विंट/स्क्रीनशॉट)

रिपोर्ट में बताया गया है कि आंगनबाड़ी सेविकाएं-सहायिकाएं सरकारी कर्मचारी घोषित किये जाने, भुगतान बढ़ाने, प्रमोशन में आयु सीमा ख़त्म करने, सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिए जाने जैसी मांगों को लेकर 12 दिनों से भूख हड़ताल पर थीं.

हमें यही वीडियो 25 सितंबर, 2019, को द क्विंट के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किये गए वीडियो में भी मिला. इस वीडियो और वायरल वीडियो के दृश्यों में आसानी से समानताएं देखी जा सकती हैं.

वायरल वीडियो और द क्विंट यूट्यूब वीडियो के बीच तुलना (सोर्स: एक्स,यूट्यूब/स्क्रीनशॉट)

वहीं, 25 सितंबर, 2019 को प्रकाशित हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि अपने मानदेय में बढ़ोतरी की मांग को लेकर एक महीने से अधिक समय से राजभवन के पास धरने पर बैठी सैकड़ों आंगनवाड़ी सेविका-सहायिकाएं सीएम आवास की ओर मार्च करने से पहले रांची के ज़ाकिर हुसैन पार्क के पास इकट्ठा हुई थीं. उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने बैरियर लगाए और स्थिति से निपटने के लिए एक मजिस्ट्रेट की भी तैनाती की गई. हालांकि, जब प्रदर्शनकारियों ने रोके जाने का विरोध किया तो पुलिस ने बल प्रयोग किया. रिपोर्ट में पुलिसकर्मी की उसी महिला पर दूसरे एंगल से लाठी चलाते हुए कवर फ़ोटो है जो वायरल वीडियो में दिख रही है.

यह वीडियो 24 सितंबर, 2019, की कई मीडिया रिपोर्ट्स में मौजूद है.

इसके बाद, हमने रांची में जिस स्थान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज हुआ था, उस स्थान को  गूगल मैप्स पर ढूंढा. हमने पाया कि यह वीडियो राजभवन के पास बाजरा-बरैतू मार्ग पर शूट किया गया था. 

गूगल मैप्स का स्क्रीनशॉट (सोर्स: गूगल मैप्स)

हम गूगल मैप्स पर वीडियो में दाईं और बाईं तरफ़ दिखाई देने वाले फुटपाथ, ग्राफिटी दीवार और नीले-हरे साइनबोर्ड का पता लगाने में कामयाब रहे. नीचे वीडियो और गूगल मैप्स में दिखाई देने वाले दृश्यों में समानता देखी जा सकती है. 

वायरल वीडियो और गूगल मैप्स का स्क्रीनशॉट (सोर्स: एक्स, गूगल मैप्स/स्क्रीनशॉट)

निर्णय 

मध्य प्रदेश में महिलाओं पर पुलिस लाठीचार्ज की हालिया घटना के रूप में शेयर किया जा रहा वीडियो असल में झारखंड के रांची में 2019 की एक घटना का है. इसलिए हम दावे को ग़लत मानते हैं.

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

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ग्लोबल फैक्ट चेक पूरा हुआ

हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.