सार्वजनिक हित से जुड़े सामयिक और मूल तथ्यों की जांच करने के बाद हम प्रकाशित करते हैं और ट्रेंड करते दुष्प्रचार पर नजर रखते हुए उसे पकड़ते हैं.
हमारे फैक्ट चेकर आंकड़े, विश्लेषण और संपादकीय निर्णय के आधार पर तय करते हैं कि किस दावे से बड़ा नुकसान हो सकता है, जिसे प्राथमिकता देनी चाहिए. हमारी अनुभवी संपादकीय टीम और विशेषज्ञ फैक्ट चेकर व्यक्तिगत रूप से दावों को परखते हैं और मूल्यांकन करते हैं कि उनका प्रसार कितने बड़े पैमाने पर हो रहा है.
लॉजिकली फैक्ट्स में निम्न मानकों पर खरा उतरने वाले दावों की जांच की जाती है :
- सार्वजनिक रूप से दिया गया बयान या ऑनलाइन फोरम पर सबके लिए उपलब्ध.
- तर्कसंगत नजरिए से सामान्य मानदंड के आधार पर सार्वजनिक रूप से सबके लिए उपलब्ध.
- लॉजिकली फैक्ट्स केवल उन आरोपों या वाक्यों का फैक्ट चेक कर सकती है जिन्हें आरोप माना जा सके. या फिर उसका मकसद किसी को किसी बात का विश्वास दिलाना हो.
टीम कठोर मानकों का उपयोग करके सभी संभावित सबूतों का मूल्यांकन करने के लिए प्रतिबद्ध है, भले ही मूल दावा किसने किया हो या राजनीतिक स्पेक्ट्रम के किस पक्ष पर हो. कई बार दावे को हम उन सबूतों से तय नहीं कर पाते जिन तक हमारी पहुंच होती है या भविष्य में हो सकती है. आमतौर पर ये दावे इतिहास से जुड़े हो सकते हैं जिनके सबूत सीमित होते हैं. या फिर ये दावे बुनियादी रूप से नैतिक या धार्मिक प्रकृति के होते हैं.
हम ऐसे दावों में नहीं उलझेंगे जहां हमें लगता है कि ऐसा करना गैर-जिम्मेदाराना हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि उस खास विषय में हमारी विशेषज्ञता नहीं होती. ऐसा भी हो सकता है कि दावे को सही संदर्भ में देखने की इतनी क्षमता नहीं होती जिससे कोई निष्कर्ष निकाला जाए और अंतत: जिस दावे की पड़ताल से कोई मदद ही ना मिले. हम ट्रोलिंग में भी नहीं शामिल होंगे और न ही नुकसान पहुंचाने वाले षडयंत्रों में, जब तक कि स्पष्ट रूप से वह खंडन प्रकाशित किया जा सकने वाला पत्रकारिता से जुड़ा मामला ना हो.