यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का विरोध कर रही महिलाओं का ये वीडियो पुराना है

लेखक: मोहम्मद सलमान
मई 20 2024

शेयर आर्टिकल: facebook logo twitter logo linkedin logo
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का विरोध कर रही महिलाओं का ये वीडियो पुराना है

वीडियो के साथ दावा किया गया है कि लोकसभा चुनाव के बीच कौशांबी में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के ख़िलाफ़ महिलाओं ने प्रदर्शन किया. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय भ्रामक

यह वीडियो 2022 में हुई एक पुरानी घटना का है, जब केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश के कौशांबी में स्थानीय महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ा था.

क्लेम आईडी 650617bb

दावा क्या है?

लोकसभा चुनाव 2024 के पांचवें चरण के लिए 20 मई को मतदान होगा, जिसमें उत्तर प्रदेश की कौशांबी सीट भी शामिल है. इस बीच उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि उन्हें कौशांबी में जनता के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिसके बाद उन्हें वहां से भागना पड़ा.

वायरल वीडियो में केशव प्रसाद मौर्य लोगों से घिरे हुए हैं और महिलाओं समेत बड़ी संख्या में लोग उनके ख़िलाफ़ नारे लगाते दिख रहे हैं. वीडियो में लोगों को 'केशव मौर्य चोर है' जैसे नारे लगाते हुए सुना जा सकता है. इस बीच वह लोगों को उंगली से चुप कराते भी नज़र आ रहे हैं.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर वीडियो पोस्ट करते हुए कैप्शन दिया, "कौशांबी में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का भारी विरोध हर गली मोहल्ले और नुक्कड़ पर हो रहा है जनता ने इनका निकलना दुधर कर दिया है. विरोध को देखते हुए विनोद सोनकर को लेकर गेस्ट हाउस से तत्काल भाग खड़े हुए केशव प्रसाद मौर्य. यूपी में भाजपा को 10 सीटों के लाले पड़े." पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों के साथ शेयर किये गए अन्य पोस्ट यहां और यहां देखें.

वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, वायरल हो रहा वीडियो हालिया नहीं है और न ही मौजूदा लोकसभा चुनाव से इसका कोई संबंध है. दरअसल, यह वीडियो जनवरी 2022 का है, जब यूपी के डिप्टी सीएम को कौशांबी में स्थानीय महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ा था.

हमने सच का पता कैसे लगाया?

हमने संबंधित कीवर्ड्स की मदद से वीडियो के बारे में सर्च किया, तो हमें टीवी9 उत्तर प्रदेश उत्तराखंड के यूट्यूब चैनल पर जनवरी 23, 2022 को अपलोड किया गया हूबहू वीडियो (आर्काइव यहां) मिला. वीडियो के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य शनिवार, जनवरी 22 को अपने क्षेत्र सिराथू पहुंचे थे जहां उन्हें महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ा.

इस बारे में थोड़ी खोजबीन करने पर, हमें जनवरी 23, 2022 को दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें बिल्कुल वही वीडियो है जो इस समय वायरल हो रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि यूपी विधानसभा चुनाव में कौशांबी सिराथू सीट से उम्मीदवारी की घोषणा के बाद वह पहली बार अपने विधानसभा क्षेत्र के गुलामीपुर गांव पहुंचे थे. 

रिपोर्ट में आगे लिखा है कि उनके गुलामीपुर पहुंचते ही, महिलाओं ने घर का दरवाजा बंद कर लिया और बाहर खड़े लोग विरोध में नारेबाजी करने लगे. इस दौरान केशव ने लोगों को चुप कराने की कोशिश भी की. केशव मौर्य महिलाओं से बुरी तरह घिर गए. उनके साथ मौजूद सुरक्षा के जवानों ने उन्हें बाहर निकाला. मौर्य के जाने के बाद लोगों ने 'केशव मौर्य चोर है..' के नारे भी लगाए गए.

रिपोर्ट के मुताबिक़, सिराथू में ज़िला पंचायत सदस्य पूनम मौर्य के पति राजीव मौर्य रहस्यमय परिस्तिथि में लापता हो गए थे. केशव उनके घर परिवारीजनों से मिलने गए थे जहां धरना कर रही महिलाओं ने पुलिस कार्यवाई का विरोध करते हुए केशव प्रसाद के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करना शुरू कर दी. 

इस घटना को नवभारत टाइम्स, न्यूज़18 उत्तर प्रदेश और प्रभात ख़बर समेत कई मीडिया आउटलेट ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है.

हमारी जांच में यह भी पता चला कि केशव प्रसाद मौर्य ने मई 15, 2024 को सिराथू में बीजेपी लोकसभा प्रत्याशी विनोद सोनकर के समर्थन में रैली की थी. लेकिन हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें पुष्टि की गई हो कि इस रैली के दौरान लोगों ने उनका विरोध किया.

निर्णय 

हमारी अब तक की जांच से यह साफ़ हो गया है कि उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का वायरल हो रहा वीडियो न तो हालिया है और न ही मौजूदा लोकसभा चुनाव से इसका कोई संबंध है. दरअसल, ये वीडियो 2022 का है. इसलिए, हम वायरल दावे को भ्रामक मानते हैं. 

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

0
ग्लोबल फैक्ट चेक पूरा हुआ

हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.