नहीं, क़तर के अमीर ने नहीं कहा कि भारतीय मुसलमानों को अरब मामलों में दखल देना बंद कर देना चाहिए

लेखक: मोहम्मद सलमान
अक्तूबर 16 2023

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नहीं, क़तर के अमीर ने नहीं कहा कि भारतीय मुसलमानों को अरब मामलों में दखल देना बंद कर देना चाहिए

सोशल मीडिया पोस्ट्स का दावा है कि क़तर के अमीर ने कहा है कि भारतीय मुसलमानों को अरब मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए. (सोर्स:एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

हमने पाया कि क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमद अल थानी के 2017 के एक असंबंधित वीडियो में फ़र्ज़ी और भ्रामक अंग्रेज़ी सबटाइटल्स लगाकर फ़र्ज़ी दावा किया गया है.

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दावा क्या है? 

सोशल मीडिया पर एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि क़तर के अमीर ने बयान दिया है कि भारतीय मुसलमानों को अरब मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए. यदि वे गाज़ा के लोगों के बारे में इतने चिंतित हैं, तो उन्हें अपनी उड़ानें बुक करनी चाहिए और गाज़ा के लोगों को बचाना चाहिए. वायरल दावे के मुताबिक़, क़तर अमीर ने यह भी कहा कि उन्हें धर्मांतरित मुसलमानों से प्रमाणपत्र की ज़रूरत नहीं है.

वायरल पोस्ट में दो वीडियो हैं जिनमें एक वीडियो का सबटाइटल अंग्रेज़ी भाषा में और दूसरे में अरबी भाषा में बयान का एक हिस्सा है. इस वीडियो को एक्स (पूर्व में ट्विटर) और फ़ेसबुक पर ख़ूब शेयर किया जा रहा है और इस वीडियो के ज़रिये उन भारतीय मुसलमानों पर निशाना साधा जा रहा है जो इज़राइल-फ़लस्तीन संघर्ष में गाज़ा पर हो रही बमबारी को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर रहे हैं.

राईट विंग यूज़र द्वारा शेयर किये जा रहे ऐसे ही वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां, यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं. 

वायरल पोस्ट के स्क्रीनशॉट (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि वीडियो क़रीब 6 साल पुराना, यानी 14 मई 2017 का है, और वीडियो के साथ जो अंग्रेज़ी सबटाइटल दिखाया गया है वह असल में ग़लत अनुवाद है. 

सच्चाई क्या है? 

हमने रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये वीडियो को खोजा तो हमें यह वीडियो ‘अलजज़ीरा मुबाशेर’ यूट्यूब चैनल पर 14 मई, 2017 को अपलोड हुआ मिला. वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया है, क़तर की राजधानी में "विकास, स्थिरता और शरणार्थी मुद्दे" नारे के तहत आयोजित कतर की राजधानी में आयोजित 17वें दोहा फोरम के दौरान, कतर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमद अल थानी का भाषण.” 43 सेकेंड के इस वीडियो में ठीक 27 सेकेंड पर वायरल वीडियो का हिस्सा सुना जा सकता है.

अलजज़ीरा मुबाशेर यूट्यूब चैनल के वीडियो का स्क्रीनशॉट (सोर्स: यूट्यूब/स्क्रीनशॉट)

हमने पाया कि क़तर अमीर के भाषण के दौरान स्क्रीन पर जो अरबी भाषा में बयान का एक हिस्सा दिखाया गया है उसका अनुवाद है: “क़तर के अमीर: शरणार्थी संकट क्षेत्रीय संघर्षों, गृह युद्धों और नस्लवाद पर आधारित विस्थापन अभियानों का परिणाम है.” हम इसी हिस्से को वायरल पोस्ट के दूसरे वीडियो में देख सकते हैं. 

क़तर अमीर के वायरल वीडियो के हिंदी अनुवाद को लेकर हमने अरबी भाषा के जानकारों से भी संपर्क किया, जिसमें उन्होंने पुष्टि की कि अमीर ने भारतीय मुसलमानों के संदर्भ में एक भी शब्द नहीं कहा है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमीर के भाषण पर जो अंग्रेज़ी सबटाइटल जोड़े गए हैं वो ग़लत और भ्रामक हैं. वायरल वीडियो में भी ऐसा कोई बयान नहीं है.  

क़तर के अमीर ने 2017 में क्या भाषण दिया था? 

17वें दोहा फ़ोरम से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स चेक करने पर हमें अल जज़ीरा की 14 मई, 2017 की एक रिपोर्ट मिली जिसमें एक जगह क़तर के अमीर के भाषण के उसी हिस्से का ज़िक्र किया गया है. इसका हिंदी अनुवाद करने पर हमने पाया कि क़तर के अमीर ने कहा था कि फ़लिस्तीनी मुद्दा उन लोगों के मुद्दे के रूप में शुरू हुआ जो अपनी ज़मीन से उजड़ गए और अपनी मातृभूमि से विस्थापित हो गए. इस रिपोर्ट में कहीं भी भारत या भारतीय मुसलमानों का ज़िक्र नहीं है.

हमें अपनी जांच के दौरान क़तर के अमीर की अधिकारिक वेबसाइट पर 14 मई, 2017 को शुरू हुए 17वें दोहा फ़ोरम में उनका भाषण मिला. हमने क़तर के अमीर का भाषण पढ़ा, जो अरबी में प्रकाशित हुआ था, जिसमें उन्होंने फ़लिस्तीनी संघर्ष, सीरियाई युद्ध और इराक शरणार्थियों सहित कई विषयों को संबोधित किया था. हालांकि, उनके पूरे भाषण में हमें भारत या भारतीय मुसलमानों का एक भी संदर्भ नहीं मिला. 

हमने क़तर अमीर के भाषण के उस अंश को जो वायरल वीडियो में है, को उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध भाषण से मिलान किया तो पाया कि उन्होंने कहा था, “फ़लिस्तीन का मुद्दा वहां के लोगों से शुरू हुआ जो अपनी ज़मीन से उजड़ गए और अपनी मातृभूमि से विस्थापित हो गए."

निर्णय

क़तर अमीर के वीडियो के साथ यह दावा कि उन्होंने कहा है कि भारतीय मुसलमानों को अरब मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए, ग़लत है. वीडियो के साथ दिया गया अनुवाद भी ग़लत है. असल में, उन्होंने कहा था, “फ़लिस्तीन का मुद्दा वहां के लोगों से शुरू हुआ जो अपनी ज़मीन से उजड़ गए और अपनी मातृभूमि से विस्थापित हो गए." इसलिए, हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं.

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

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ग्लोबल फैक्ट चेक पूरा हुआ

हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.