यमुना एक्सप्रेसवे पर युवती का शव मिलने की घटना को झूठे सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर किया गया

लेखक: मोहम्मद सलमान
जनवरी 5 2024

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यमुना एक्सप्रेसवे पर युवती का शव मिलने की घटना को झूठे सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर किया गया

दावा है कि मुस्लिम प्रेमी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर हिंदू प्रेमिका के साथ रेप किया और फिर उसकी हत्या कर दी.(सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

यह 2022 का का मामला है, जिसमें नितेश यादव ने परिवार की सहमति के बिना शादी करने पर अपनी बेटी आयुषी यादव की हत्या कर दी थी.

क्लेम आईडी 7bede478

(ट्रिगर वार्निंग: इस कहानी में हिंसक दृश्य दिखाने वाली तस्वीर हैं. इसलिए हमने लेख में किसी भी लिंक या तस्वीर का इस्तेमाल करने से परहेज किया है. पाठकों को विवेक की सलाह दी जाती है.)

दावा क्या है? 

सोशल मीडिया पर एक युवती के शव की तस्वीर को सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है. यूज़र्स का दावा है कि तस्वीर में 'लव जिहाद' की शिकार एक युवती है, जो उत्तराखंड के हल्द्वानी से लापता हो गई थी. आगे कहा गया है कि उसके मुस्लिम प्रेमी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसके साथ रेप किया और फिर उसकी हत्या कर दी.

‘लव जिहाद’ दक्षिणपंथी समूहों का एक षड्यंत सिद्धांत (conspiracy theory) है जिसमें मुस्लिम पुरुष कथित तौर पर हिन्दू महिलाओं को लुभाते हैं, बहकाते हैं और उनका धर्म परिवर्तन कराने के मक़सद से उनसे शादी करते हैं. 

वायरल पोस्ट के स्क्रीनशॉट (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, यह वायरल दावा ग़लत है. दरअसल, यह 2022 का मामला है, जिसमें पीड़िता आयुषी के पिता ने परिवार की मर्ज़ी के बिना छत्रपाल गुर्जर नाम के युवक से शादी करने पर अपनी बेटी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बाद में, उसका शव मथुरा में यमुना एक्सप्रेसवे के पास एक लावारिस सूटकेस में मिला था.

 हमने सच का पता कैसे लगाया? 

हमने संबंधित कीवर्ड्स के ज़रिये खोजबीन की तो हमें यही तस्वीर नवंबर, 2022 के कई एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट में मिली. ऐसे ही एक पोस्ट में एक पत्रकार ने महिला की पहचान करते हुए शव की तस्वीर शेयर की थी.

22 नवंबर, 2022 को प्रकाशित अमर उजाला की रिपोर्ट में उक्त युवती की पहचान आयुषी यादव के रूप में की गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस ने आयुषी की हत्या के आरोप में उसके माता-पिता को गिरफ़्तार कर लिया है. police ke according 17 नवंबर को उसके पिता नीतेश यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसके शव को पॉलिथीन में लपेटकर ट्रॉली बैग में डालकर यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे फेंक दिया था.

मथुरा पुलिस ने इस हत्याकांड को लेकर 21 नवंबर, 2022 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें एसएसपी मार्तंड प्रकाश ने बताया था कि 18 नवंबर को एक्सप्रेसवे के वृंदावन कट के पास एक लाल सूटकेस में एक युवती का शव मिला था, जिसके शरीर पर गोलियों के निशान थे. उसकी पहचान दिल्ली के बदरपुर निवासी के रूप में की गई है. पीड़िता ने अपने माता-पिता की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ एक अंतरजातीय विवाह किया था. इससे परिवार में मनमुटाव चल रहा था और उसी कहासुनी में पिता ने 17 नवंबर को उसे दो गोली मार दी. शव रात भर घर पर रखा रहा. सुबह क़रीब 3 बजे के आसपास, शव को एक लाल सूटकेस में पैक करके माता-पिता यमुना एक्सप्रेसवे पर छोड़ कर चले गए.

एसएसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि पुलिस की पूछताछ में माता और पिता के बयानों में अंतर था. जब पुलिस ने ज़ोर दिया तो बात खुलती चली गई और उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने ही घर में बेटी की हत्या की थी.

इस हत्या के पीछे की वजह के बारे में पूछे जाने पर, मथुरा पुलिस ने आगे स्पष्ट किया कि लड़की, जोकि बालिग थी और अपनी मर्ज़ी से छत्रपाल नाम के एक व्यक्ति से आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली थी. पीड़िता अक्सर अपने माता-पिता को बताए बिना घर से चली जाया करती थी. इस बात को लेकर अक्सर घर में कहासुनी होती रहती थी.

मथुरा के राया पुलिस थानाध्यक्ष अजय किशोर ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स को पुष्टि की, "इस घटना में कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं है. हत्या लड़की के पिता नितेश यादव ने की है."

इसके अलावा हमने इस मामले पर राया थाने में दर्ज एफ़आईआर की कॉपी भी देखी. इसमें पीड़िता के पिता का नाम नितेश यादव लिखित रूप में मौजूद है. हालांकि, धारा 302 (हत्या) व 201 (साक्ष्य मिटाना)  के तहत दर्ज पहली एफ़आईआर में एक अज्ञात व्यक्ति को आरोपी बनाया गया था. वहीं आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज की गई दूसरी एफ़आईआर में नितेश यादव का नाम आरोपी के तौर पर दर्ज है.

इन दोनों एफ़आईआर रिपोर्ट में कहीं भी किसी मुस्लिम युवक का नाम आरोपी के तौर पर मौजूद नहीं है.

यह पहली बार नहीं है जब इस घटना को सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया गया है. असल में, इस मामले को ग़लत तरीके से मणिपुर से भी जोड़ा गया था - प्लास्टिक में लिपटे पीड़ित शरीर की एक तस्वीर को ग़लत दावे के साथ शेयर किया गया था कि मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले में मेइतेई नर्सिंग छात्रा के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने इस दावे को ख़ारिज कर दिया था, और बताया था कि कैसे यह ग़लत सूचना "बदला" के लिए ट्रिगर हो सकती है.

निर्णय 

हमारी अब तक की जांच से यह साफ़ हो गया है कि आयुषी यादव की हत्या को सांप्रदायिक रंग दिया गया है और सोशल मीडिया यूज़र्स का दावा ग़लत है कि एक मुस्लिम व्यक्ति ने उसकी हत्या की है. क्योंकि इस हत्याकांड को पीड़िता के पिता ने ही अंजाम दिया था. इसलिए, हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं. 

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

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ग्लोबल फैक्ट चेक पूरा हुआ

हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.