नहीं, उद्धव ठाकरे ने नहीं कहा कि मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने भारत के लिए क़ुर्बानी दी

लेखक: मोहम्मद सलमान
मार्च 4 2024

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नहीं, उद्धव ठाकरे ने नहीं कहा कि मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने भारत के लिए क़ुर्बानी दी

सोशल मीडिया यूज़र्स एक वीडियो के ज़रिये दावा कर रहे हैं कि उद्धव ठाकरे ने मुगल बादशाह औरंगज़ेब की तारीफ़ करते हुए उन्हें अपना ‘भाई’ और भारत के लिए ‘बलिदान देने वाला व्यक्ति’ बताया है. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

यह फ़रवरी 2023 का वीडियो है जिसमें उद्धव ठाकरे भारतीय सेना के जवान औरंगज़ेब का ज़िक्र करते नज़र आ रहे हैं, जिनकी 2018 में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी.

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दावा क्या है?

सोशल मीडिया पर शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि उन्होंने मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब की प्रशंसा की है, उन्हें अपना “भाई” और भारत के लिए “बलिदान देने वाला व्यक्ति” बताया है. इस वीडियो के ज़रिये सोशल मीडिया यूज़र्स उद्धव ठाकरे की जमकर आलोचना कर रहे हैं.

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, "औरंगजेब अपना भाई था. जिसने भारत माता के लिए कुर्बानी दी थी. हिंदुओं सुनो. राजनैतिक भिखारी उद्धव ठाकरे के गंदे शब्द. सत्ता-लालच में विदेशी औरत के तलवे चाटते चाटते यह मूर्ख इतना पगला गया है कि हिंदुओं के हत्यारे और शिवाजी के शत्रु के बारे में. नया इतिहास पढ़ा रहा है.." पोस्ट को अब तक 48,000 से ज़्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं. ऐसे ही दावे वाले पोस्ट्स के आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.

वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, यह एक क्लिप्ड वीडियो है. असल में, उद्धव ठाकरे मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब का नहीं, बल्कि भारतीय सेना के शहीद जवान औरंगज़ेब का ज़िक्र कर रहे, जिन्हें 2018 में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने मार डाला था.

हमने सच का पता कैसे लगाया? 

हमने संबंधित कीवर्ड्स के ज़रिये वायरल वीडियो क्लिप के लंबे वर्ज़न को खोजना शुरू किया, जो हमें उद्धव ठाकरे के आधिकारिक फ़ेसबुक पेज पर मिला. यह वीडियो 19 फ़रवरी, 2023, को लाइव स्ट्रीम के रूप में अपलोड किया गया था.

हमने इस वीडियो को देखा और पाया कि 32 मिनट के क़रीब उद्धव ठाकरे एक घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं, "पिछले तीन-चार साल की बात है. आप भूल गए होंगे या शायद अपने पढ़ा भी नहीं होगा. एक अपना फ़ौजी था कश्मीर में. वो छुट्टी लेकर घर जा रहा था परिवार को मिलने के लिए. जब आतंकवादियों को पता चला कि यह छुट्टी लेकर अकेला घर जा रहा है, बीच में उसको किडनैप किया गया. कुछ दिनों के बाद उसके शरीर के बिखरे हुए हिस्से कहीं मिले. वह अपना था या नहीं था, जिसने देश के लिए क़ुर्बानी दी है.” 

उद्धव ठाकरे आगे कहते हैं, "अभी मैं अगर कहूं कि हां वो मेरा भाई था तो आप बोलेंगे कि आपको नाम पता है, क्या है? उसका नाम था औरंगजेब! औरंगज़ेब. होगा न मज़हब से मुसलमान होगा, लेकिन उसने अपने देश के लिए क़ुर्बानी दी. भारत माता जिसको.. भारत माता की जय.. कहते हैं, उसके लिए उसने अपनी जान तक दे दी. वो आपका भाई नहीं था? वो अपना भाई ही था.”

यहां ये स्पष्ट हो जाता है कि उद्धव ठाकरे भारतीय सेना के जवान औरंगज़ेब के बारे में बात करते हुए उन्हें अपना भाई और भारत के लिए क़ुर्बानी देने वाला बता रहे थे, नाकि मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब को, जैसा कि दावा किया गया है. दरअसल, उद्धव ठाकरे मुंबई के अंधेरी इलाके में उत्तर भारतीय समाज के साथ एक चर्चा सत्र में हिस्सा ले रहे थे.

भारतीय सेना का जवान औरंगज़ेब कौन था?

एनडीटीवी की रिपोर्ट में बताया गया है कि 15 जून, 2018 को भारतीय सेना की आतंकवाद विरोधी शाखा राष्ट्रीय राइफल्स के जवान औरंगज़ेब की आतंकवादियों द्वारा अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी. उनका गोलियों से छलनी शव जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले में बरामद किया गया था. दरअसल, औरंगज़ेब ईद की छुट्टियों पर घर जा रहे थे तभी उनका अपहरण कर लिया गया था. उनके सिर और गर्दन में गोली मारी गई थी.

4 जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के जवान औरंगज़ेब शोपियां के शादीमर्ग में 44 राष्ट्रीय राइफल्स कैंप में तैनात थे, जहां वे सेना के चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों का हिस्सा थे. 9 मई, 2023 को औरंगज़ेब को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. 

निर्णय

सोशल मीडिया यूज़र्स एक वीडियो के ज़रिये यह दावा कि शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब को अपना भाई और भारत के लिए क़ुर्बानी देने वाला बताया, ग़लत है. असल में, वह भारतीय सेना के जवान औरंगज़ेब का ज़िक्र कर रहे थे. इसलिए हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं. 

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

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ग्लोबल फैक्ट चेक पूरा हुआ

हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.