ओडिशा ट्रेन दुर्घटना स्थल के पास मौजूद इस्कॉन मंदिर की तस्वीर को मस्जिद बताकर शेयर किया गया

लेखक: मोहम्मद सलमान
अगस्त 29 2023

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ओडिशा ट्रेन दुर्घटना स्थल के पास मौजूद इस्कॉन मंदिर की तस्वीर को मस्जिद बताकर शेयर किया गया

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

लॉजिकली फैक्ट्स ने स्थानीय सूत्रों से पुष्टि की कि रेलवे ट्रैक के पास मौजूद सफेद ढांचा बहनागा इस्कॉन मंदिर है.

क्लेम आईडी 7d71b092

संदर्भ


भारत में सबसे भयावह ट्रेन दुर्घटनाओं में से एक ओडिशा रेल दुर्घटना जिसमें तीन ट्रेनें - कोरोमंडल एक्सप्रेस, हावड़ा सुपर फास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी - शुक्रवार, 2 जून को पटरी से उतर गईं और एक-दूसरे से टकरा गईं. इस हादसे में कम से कम 275 लोगों की जान चली गई और हज़ार से अधिक यात्री घायल हुए. 


दुर्घटना के बाद कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने दुर्घटनास्थल के दृश्य सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए दावा किया कि जिस जगह हादसा हुआ वहां एक एक मस्जिद है. एक ‘षडयंत्र’ की ओर इशारा करते हुए इन यूज़र्स ने मुस्लिम समुदाय को इस भयावह दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया. एक यूज़र ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “बस बता रहा हूं, कल शुक्रवार था.” साथ में ऊंचाई से ली गयी दुर्घटनास्थल की एक तस्वीर  है जिसमें एक ढांचा दिखाई देता है.गौरतलब है कि मुसलमानों के लिए शुक्रवार पवित्र दिन होता है. इन वायरल दावे वाले ट्वीट्स पर ढेरों प्रतिक्रियाएं मिली हैं. हालांकि, इनमें से कई अब डिलीट हो चुके हैं.


हालांकि, यह वायरल तस्वीर के साथ किया गया दावा ग़लत है.


सच्चाई

हमारी जांच से पता चला कि ट्रेन दुर्घटनास्थल के पास मौजूद ढांचा कोई मस्जिद नहीं, बल्कि इस्कॉन मंदिर है. लॉजिकली फैक्ट्स ने गूगल अर्थ से भी मंदिर के स्थान की पुष्टि की और पाया कि यह सफेद ढांचा वास्तव में बहनागा इस्कॉन मंदिर है. गूगल मैप में भी रेलवे ट्रैक के बगल में सफेद ढांचा नज़र आता है.

लाइव हिन्दुस्तान द्वारा अपलोड़ किए गये यूट्यूब वीडियो में मंदिर का निर्माणाधीन ढांचा नज़र आता है. ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता कि घटनास्थल के पास कोई मस्जिद मौजूद है. दुर्घटनास्थल का पूरा नज़ारा इस वीडियो में देखा जा सकता है और रेलवे ट्रैक से कुछ ही दूरी पर मंदिर भी देखा जा सकता है. यह वीडियो 4 जून को अपलोड किया गया था.

रायटर्स ने भी दुर्घटनास्थल की तस्वीर प्रकाशित की है और तस्वीर से पता चलता है कि सफेद ढांचा किसी मस्जिद से मेल नहीं खाता है.

लॉजिकली फैक्ट्स ने स्थानीय पत्रकार तमाल साहा से संपर्क किया जो घटनास्थल से लगातार रिपोर्टिंग करते रहे हैं. साहा ने फोन कॉल के ज़रिये बताया, “बालासोर में रेलवे ट्रैक के बगल में स्थित यह इस्कॉन मंदिर है. जमीन पर यह ऑपरेशनल है और पूरा ढांचा अब भी निर्माणाधीन है.”

इंडिया टुडे के पत्रकार दिव्येशी त्रिवेदी ने 3 जून 2023 को ओडिशा के बहनागा के पास ट्रेन दुर्घटना के बाद का एरियल व्यू दिखाता वीडियो शेयर किया. वीडियो की शुरुआती 0.02 सेकेंड्स पर हम उसी मंदिर के ढाँचे को देख सकते हैं जो लाइव हिन्दुस्तान और रायटर्स द्वारा शेयर किए गया था. न्यूज़लॉन्ड्री की ट्रेन दुर्घटना पर ग्राउंड रिपोर्ट 4 जून 2023 को प्रकाशित हुई थी. उसमें भी यह मंदिर है जिसे ग़लत मंशा से मस्जिद के रूप में पेश किया गया. 

स्थानीय कई स्रोतों ने इस बात की पुष्टि की है कि दुर्घटनास्थल के पास का ढांचा मस्जिद नहीं है.  ट्रेन हादसे के बाद से ऑनलाइन कई ग़लत सांप्रदायिक दावे सामने आने के बाद ओडिशा पुलिस ने एक बयान जारी कर चेतावनी दी कि धार्मिक आधार पर झूठ फैलाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी, “यह देखने में आया है कि कुछ सोशल मीडिया हैंडल बालासोर दुर्घटना को शरारतपूर्ण तरीके से सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.” ओडिशा पुलिस के आधिकारिक ट्वीट में कहा गया है, “हम सभी संबंधित लोगों से अपील करते हैं कि वे इस तरह के झूठे और गलत इरादे वाले पोस्ट शेयर करने से बचें. जो लोग अफ़वाह फैलाकर सांप्रदायिक सौहार्द ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं उनके ख़िलाफ़ कड़ी कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी.”

ट्रेन दुर्घटना की जांच और तीन ट्रेनों के आपस में टकराने के पीछे की वजह पता लगाने की कोशिश जारी है. लगातार दुर्घटनास्थल पर बने रहे केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया से बातचीत की और कहा कि शुरुआती जांच से पता चला है कि ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदलाव’ दुर्घटना की वजह हो सकती है. इस संबंध में हिन्दुस्तान टाइम्स ने रिपोर्ट प्रकाशित की है. आगे की जांच जारी है.


फ़ैसला

ओडिशा ट्रेन दुर्घटना स्थल पर मौजूद इस्कॉन मंदिर की तस्वीर इस झूठे दावे के साथ शेयर की गयी है कि यह एक मस्जिद है. इसलिए, हम इस दावे को गलत मानते हैं.

इस फैक्ट चेक को पढ़ें

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ग्लोबल फैक्ट चेक पूरा हुआ

हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.