होम शिरडी साईं ट्रस्ट ने हज के लिए नहीं दिया 35 करोड़ रुपये का दान, वायरल दावा फ़र्ज़ी है

शिरडी साईं ट्रस्ट ने हज के लिए नहीं दिया 35 करोड़ रुपये का दान, वायरल दावा फ़र्ज़ी है

अगस्त 16 2023

शेयर आर्टिकल: facebook logo twitter logo linkedin logo
शिरडी साईं ट्रस्ट ने हज के लिए नहीं दिया 35 करोड़ रुपये का दान, वायरल दावा फ़र्ज़ी है

फैक्ट चैक

निर्णय असत्य

शिरडी साईं ट्रस्ट के विधि विभाग के इंचार्ज ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स को स्पष्ट किया कि ट्रस्ट द्वारा हज के लिए 35 करोड़ रुपये दान देने का दावा फ़र्ज़ी है.

दावा क्या है? 

सोशल मीडिया पर गूगल सर्च रिजल्ट का एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है जिसमें शिरडी साईं ट्रस्ट द्वारा हज के लिए 35 करोड़ रुपये दान देने का दावा किSया गया है. इस स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए सोशल मीडिया यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि साई ट्रस्ट ने हज के लिए दिए 35 करोड़ दान दे दिए लेकिन चार धाम और राम मंदिर के लिए कुछ भी नहीं दिया. सोशल मीडिया पर इसे सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है.

संदर्भ 

दरअसल जब से राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ है, तब से ही दक्षिणपंथी समूहों का एक धड़ा शिरडी साईं ट्रस्ट की आलोचना कर रहा है कि ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए किसी प्रकार का कोई दान नहीं दिया है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म, फ़ेसबुक और एक्स (ट्विटर) पर ऐसे ढेरों पोस्ट मौजूद हैं जिसमें शिरडी साईं ट्रस्ट द्वारा हज के लिए करोडों रूपए का दान और हिन्दू धार्मिक स्थलों के लिए कोई दान नहीं देने को लेकर ट्रस्ट पर निशाना साधा गया है.

सच्चाई क्या है? 

लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने वायरल स्क्रीनशॉट के साथ किये जा रहे दावे की सत्यता जांचने के लिए संबंधित कीवर्ड्स के साथ खोजबीन शुरू की. इस दौरान हमें 24 अप्रैल, 2023 को प्रकाशित ईटीवी भारत की एक रिपोर्ट मिली.

मराठी भाषा में प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साईं संस्था के संविधान में इस तरह के फंड का कोई प्रावधान नहीं है. राम मंदिर निर्माण के लिए दान के लिए ट्रस्ट से कोई अनुरोध नहीं किया गया. उच्च न्यायालय के नियंत्रण में कार्य करने वाला यह संस्थान ज़िला मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में कार्य कर रहा है. हर निर्णय की घोषणा उच्च न्यायालय और राज्य सरकार की कानूनी मंजूरी के साथ वेबसाइट पर की जाती है. ऐसे में किसी को धन देना या देने से इनकार करने का कोई सवाल ही नहीं है.

रिपोर्ट में संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जाधव के हवाले से कहा गया है कि इस तरह का प्रचार करके संस्थान को बदनाम और धार्मिक विवाद पैदा करने के लिए किया जा रहा है. हम इस दुष्प्रचार के ज़रिये संस्थान को बदनाम करने वालों और यूट्यूब, ट्यूटर और फ़ेसबुक के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई करेंगे.

आगे जांच के दौरान, हमें दैनिक भास्कर की 2020 की एक रिपोर्ट मिली जिसमें साईं ट्रस्ट द्वारा कोरोना से लड़ने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री राहत कोष में 51 करोड़ रुपये दान देने की ख़बर को कवर किया गया है. हमें ज़्यादातर रिपोर्ट ऐसी मिलीं जिसमें ट्रस्ट को मिलने वाले दान को कवर किया गया है. 

इसके बाद, हमने साईंबाबा ट्रस्ट की अधिकारिक वेबसाइट को चेक किया लेकिन हमें किसी भी सेक्शन में ऐसा कोई बिंदु नहीं मिला जो वायरल दावे का समर्थन करता हो.

और यदि शिरडी साईं ट्रस्ट की तरफ़ से ऐसा दान वास्तव में हुआ होता, तो इसे प्रमुख न्यूज़ आउटलेट्स में व्यापक कवरेज मिली होती. इसके अलावा, शिरडी ट्रस्ट के आधिकारिक फ़ेसबुक और एक्स अकाउंट से भी इस मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है.

लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने मामले पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट, शिरडी के विधि विभाग के इंचार्ज गोरक्षनाथ रायभन नलगे से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि ट्रस्ट द्वारा हज के लिए 35 करोड़ रुपये दान देने का दावा पूरी तरह से फ़र्ज़ी है. “शिरडी साईं ट्रस्ट की ओर से हज के लिए एक भी पैसा नहीं दिया गया है. यह फ़र्ज़ी ख़बर है. इस मामले पर शिरडी पुलिस स्टेशन में एफ़आईआर भी दर्ज करायी गयी है,” उन्होंने लॉजिकली फ़ैक्ट्स को बताया. 

इसके बाद, हमने इंस्पेक्टर दुधल राहुरी, शिरडी पुलिस से संपर्क किया. “साईं ट्रस्ट की ओर से केस दर्ज करवाया गया है और हम उसकी जांच कर रहे हैं,” पुलिस ने पुष्टि की.

फ़ैसला 

हमारी अब तक की जांच और शिरडी साईं ट्रस्ट के विधि विभाग के इंचार्ज से हुई हमारी बातचीत के बाद से स्पष्ट हो जाता है कि शिरडी साईं ट्रस्ट द्वारा हज के लिए 35 करोड़ रुपये देने का दावा पूरी तरह से ग़लत है. इसलिए, हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं. 

 

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

0 ग्लोबल फैक्ट चेक पूरा हुआ

हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.