न्यूज़ आउटलेट्स ने उत्तराखंड टनल हादसे के बचाव अधिकारियों की एआई-जनरेटेड तस्वीर प्रकाशित की

लेखक: रजिनी के जी
नवंबर 29 2023

शेयर आर्टिकल: facebook logo twitter logo linkedin logo
न्यूज़ आउटलेट्स ने उत्तराखंड टनल हादसे के बचाव अधिकारियों की एआई-जनरेटेड तस्वीर प्रकाशित की

दावा है कि इस तस्वीर में उत्तराखंड में सिल्क्यारा सुरंग से 41 श्रमिकों को सफलतापूर्वक निकालने के बाद बचाव अधिकारी ग्रुप फ़ोटो के लिए पोज देते हुए नज़र आ रहे हैं. (सोर्स: पीटीआई, न्यू इंडियन एक्सप्रेस/स्क्रीनशॉट)

फैक्ट चैक

निर्णय फ़ेक

इस तस्वीर को सबसे पहले शेयर करने वाले एक एक्स यूज़र ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर स्पष्ट किया है कि यह एक एआई-जनरेटेड तस्वीर है.

क्लेम आईडी 72e46766

संदर्भ

उत्तराखंड के उत्तरकाशी इलाक़े में एक निर्माणाधीन सुरंग धंसने के 17 दिन बाद, 28 नवंबर को अंदर फंसे 41 निर्माण श्रमिकों को बचा लिया गया. इसके बाद, अंततः 400 घंटे का बचाव अभियान समाप्त हो गया.

अब एक दिन बाद, एक तस्वीर ऑनलाइन सामने आई है जिसमें दावा किया गया कि बचाव अभियान का नेतृत्व करने वाले अधिकारी भारतीय ध्वज के साथ एक ग्रुप तस्वीर खिंचवा रहे हैं. भारत सरकार के आधीन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आधिकारिक अकाउंट ने बचाए गए श्रमिकों की तस्वीर के साथ इस तस्वीर को शेयर किया.

इस तस्वीर का उपयोग न्यूज़ एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) द्वारा बचाव अभियान के बारे में एक रिपोर्ट में भी किया गया है (आर्काइव वर्ज़न). इस तस्वीर को जल्द ही द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, मातृभूमि, नॉर्थईस्ट लाइव, न्यूज़ 18 सहित कई न्यूज़ आउटलेट्स ने अपनी रिपोर्ट्स में प्रकाशित कर दिया. इस तस्वीर को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर भी शेयर किया गया है, कुछ पोस्ट्स में बिना किसी कैप्शन के (आर्काइव वर्ज़न). अन्नाद्रमुक नेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी (आर्काइव वर्ज़न), और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (आर्काइव वर्ज़न) ने भी तस्वीर शेयर की.

यह तस्वीर अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी तेज़ी से वायरल हो गई.

न्यूज़ आउटलेट्स और सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा शेयर की गई वायरल तस्वीर का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस/टाइम्स ऑफ इंडिया/इंडिया टुडे/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, यह तस्वीर एआई-जनरेटेड है, और बचाव अधिकारियों की वास्तविक तस्वीर नहीं है.

सच्चाई क्या है?

तस्वीर को क़रीब से देखने पर इसमें कई विसंगतियां सामने नज़र आती हैं, जिससे पता चलता है कि तस्वीर को डिजिटल रूप से हेरफेर किया गया था. चेहरे, विशेष रूप से आंखों के आसपास का क्षेत्र, विकृत या यूं कहें कि बिगड़ा हुआ प्रतीत होता है, और तस्वीर में कैद कुछ लोगों की पांच से अधिक उंगलियां हैं - एक संकेत है कि तस्वीर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से बनाई गई है. एआई एप्लीकेशन को मनुष्यों की उंगलियों की सटीक संख्या प्राप्त करने में कठिनाई होती है, और इससे हमें यह पहचानने में मदद मिली कि तस्वीर डिजिटल रूप से बनाई गई थी.

तस्वीर में नज़र आने वाली विसंगतियां (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हमने एक एक्स पोस्ट पर "एक्सक्लूसिव माइंड्स" लेबल वाला वॉटरमार्क भी देखा, जिसमें वायरल तस्वीर शेयर की गई थी. हमने पाया कि मूल तस्वीर "@एक्सक्लूसिव माइंड्स" के एक्स अकाउंट पर शेयर की गई थी.

यह अकाउंट खुद को "सोशल मीडिया पर ग़लत सूचना और भ्रामक सामग्री के ख़िलाफ़ नागरिकों की सामूहिक लड़ाई" के रूप में वर्णित करता है. इसने बचाव अधिकारियों को चित्रित करने वाली अन्य तस्वीरें भी शेयर की थीं और इन तस्वीरों वाले पोस्ट के एक थ्रेड के उत्तर में, यूज़र ने स्पष्ट रूप से कहा है, "डिस्क्लेमर: यह एक एआई जेनरेटेड तस्वीर है."

एक्स यूज़र 'एक्सक्लूसिव माइंड्स' के जवाब का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, हम यह सत्यापित करने में सक्षम नहीं हैं कि तस्वीरें इस यूज़र द्वारा बनाई गई थीं या नहीं. उपरोक्त साक्ष्य से पता चलता है कि तस्वीर एआई-जनरेटेड है और इसे उन अधिकारियों की वास्तविक तस्वीर के रूप में शेयर किया गया है जिन्होंने उत्तराखंड में निर्माणाधीन सुरंग के धंसने से 41 श्रमिकों को बचाया था. 

पीटीआई की एडिटोरियल टीम के एक वरिष्ठ सदस्य ने हमें बताया कि वायरल तस्वीर एक सांसद के सोशल मीडिया हैंडल सहित विश्वसनीय स्रोतों से ली गई थी. उन्होंने आगे कहा, "विश्वसनीय स्रोतों से भी तस्वीरें लेते समय हम अधिक सावधान रहेंगे."

निर्णय

कई न्यूज़ आउटलेट्स ने एआई-जनरेटेड तस्वीर को उन अधिकारियों की वास्तविक तस्वीर के रूप में शेयर किया, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के साथ उत्तराखंड में धंसने वाली निर्माणाधीन सुरंग से 41 श्रमिकों को बचाने में मदद की थी. इसलिए, हम इस दावे को ग़लत मानते हैं.

ट्रांसलेशन : मोहम्मद सलमान 

इस फैक्ट चेक को पढ़ें

English , অসমীয়া , हिंदी , తెలుగు , ಕನ್ನಡ

क्या आप फ़ैक्ट-चेक के लिए कोई दावा प्रस्तुत करना चाहेंगे या हमारी संपादकीय टीम से संपर्क करना चाहेंगे?

0
ग्लोबल फैक्ट चेक पूरा हुआ

हमारे जीवन पर असर डालने वाले फैसलों के लिए हम सूचना पर भरोसा करते हैं, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग़लत सूचनाएं इतनी तेजी से लोगों तक पहुंचाई जा रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था.